भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
काजू भुने हैं प्लेट में, व्हिस्की गिलास में / अदम गोंडवी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:26, 7 जनवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदम गोंडवी |अनुवादक= |संग्रह=धरती...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में
उतरा है रामराज विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं, तस्कर हों या डकैत
इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में