भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रतिबिम्ब / सुधा एम. राई
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:22, 12 जनवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सुधा एम. राई |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अति कोमल हृदयको निकुञ्जबाट
बग्दै झर्छ
प्रेमधारा।
म अतृप्त नै छु।
जब दुई हत्केलामा अञ्जुलिभरि
पानी थाप्छु
म निःशब्द
मेरो हजुर प्रेममा अवतरित
एकै नजरमा परिपृप्त हुन्छु।