मोटू हाथी लेकर बस्ता
जा पहुँचा स्कूल ।
मिला बैठने को ना दिनभर
कुर्सी या स्टूल ।
पाठ पढ़ाया सबको लेकिन
मोटू समझ न पाया,
मास्टर जी ने कान पकड़ तब
सारा फ़ील्ड घुमाया।
तब जाकर समझ में आई,
उसको अपनी भूल ।
सब बच्चों ने लंच किया,
तब मोटू रहा खड़ा
पेड़ के पत्ते खाकर पानी
पी गया बीस घड़ा।
छोड़ पढ़ाई लौट गया घर
वह उड़ाता धूल।
-0-( 28 -2-1982)