बिहार गाथा-कविता / बाबा बैद्यनाथ झा
दोहा छन्द
आएँ आज बिहार का,
करें सभी गुणगान।
जो था पहले विश्व में,
चर्चित और महान।।
चौपाई छन्द
मैं बिहार की कथा सुनाऊँ,
पहले माँ सीता को ध्याऊँ।
यहीं जन्म सीता ने पाया,
जो अब सीतामढ़ी कहाया।।
ब्याही गयी राम से सीता,
मिथिला धरती बनी पुनीता।
यहीं वाल्मीकि भी रहते थे,
लवकुश रामकथा कहते थे।।
गौतम बुद्ध यहाँ थे आये,
अनुपम तत्व ज्ञान थे पाये।
बोधगया की सुनकर गाथा,
सभी बौद्ध आ टेके माथा।।
राज्य लिच्छवी की खुशहाली,
पहला लोकतंत्र वैशाली।
आम्रपालिका खीर खिलाती,
थाली बुद्ध पास ले आती।।
जैनधर्म के जो उन्नायक,
महावीर जैनों के नायक।
पावापुरी यहीं की नगरी,
पदनिर्वाण जैन की गगरी।।
दोहा छन्द
बौद्ध, जैन, अरु सिक्ख का,
यहीं हुआ विस्तार।
धर्म सनातन की यहाँ,
होती जय जयकार।।
चौपाई छन्द
जरासंध का मगध कहाता,
मौर्य वंश था अति सुखदाता।
गुरु कौटिल्य यहीं से आते,
अर्थशास्त्र के जनक कहाते।।
हर गोविन्द सिंह जी भाये,
सिक्खों के वे गुरु कहलाये।
बना हुआ सुन्दर गुरुद्वारा,
चलता यहाँ नित्य भंडारा।।
गंगा की है पावन धारा।
कोशी का है दिव्य किनारा।
गंडक, कमला भी बहती हैं।
सब नदियाँ श्रुतियाँ कहती हैं।।
था बिहार इस जग में चर्चित।
करते ज्ञान बुद्धि को अर्जित।
विश्व यहाँ पढ़ने आता था।
तत्वज्ञान लेकर जाता था।
विद्वानों की खान यही है,
भारत माँ की शान यही है।
जग का जो था गुरु कहलाता,
वह बिहार पिछड़ा रह जाता।।
दोहा छन्द
अब भी है देता रहा,
दिव्य श्रेष्ठ उपहार।
सर्वश्रेष्ठ है विश्व में,
अनुपम राज्य बिहार।।
दोहा छन्द
मिला बुद्ध को ज्ञान जब,
बने हजारों शिष्य।
बौद्ध धर्म का तब सुखद,
होने लगा भविष्य।।
चौपाई छन्द
जब अशोक का शासन आया,
पहले युद्ध अधिक करवाया।
शव को देख हुआ मन विचलित,
हिंसा त्याग बने अति चर्चित।।
बौद्धधर्म विस्तार कराया,
सत्यमेव जयते लिखवाया।
पाटलिपुत्र बिहार बना तब,
भारत का शृंगार बना तब।।
बौद्ध धर्म भारत में छाया,
धर्म सनातन था मुरझाया।
यहाँ शंकरानंद पधारे,
मंडन मिश्र प्रथम थे हारे।।
हार भारती से वे पंडित,
‘महिषी’ को कर महिमा मंडित।
धर्म सनातन को फैलाया,
वैदिक धर्म तभी बच पाया।।
कई शतक तक रही गुलामी,
उसी मध्य आयी बदनामी।
भारत को आजाद कराने,
प्राण दिये लाखों दीवाने।
दोहा छन्द
आजादी के युद्ध में,
था बिहार सिरमौर।
मिलता था अंग्रेज को,
यहाँ नहीं तब ठौर।।
चौपाई छन्द
वीर सिंह कुंवर मतवाला,
अंग्रेजों को था धो डाला।
चम्पारण का वह आंदोलन,
साथ दिया गाँधी को जन-जन।।
देखी वीरों की कुर्बानी,
घटी विदेशी की मनमानी।
डरा बहुत अँग्रेज प्रशासन,
खाली करना था सिंहासन।।
पुनः एकदिन वह भी आया,
यहाँ तिरंगा था लहराया।
अंग्रेजों ने भारत छोड़ा,
लोकतंत्र से नाता जोड़ा।।
मिली हमें थी जब आजादी,
अपना वस्त्र बना था खादी।
सभी स्वदेशी वस्त्र पहनते,
मुख पर रख सौन्दर्य दमकते।।
बीतीं दुर्दिन की वे सदियाँ,
बहे प्रगति की ही अब नदियाँ।
विकसित हो यह राज्य हमारा,
यही बना जन-जन का नारा।।
दोहा छन्द
प्रगति करेंगे राज्य सब,
विकसित होगा देश।
सभी सुखी सम्पन्न हों,
तब बदले परिवेश।।
दोहा छन्द
उत्तर भारत का बड़ा,
है यह राज्य बिहार।
गंगा गंडक कौशिकी,
की बहती जहँ धार।।
चौपाई छंद
जब उनीस सौ बारह आया,
बाईस मार्च सभी को भाया।
इसका जन्म समय हम मानें,
नाम बिहार पड़ा सब जानें।।
उत्तर में नेपाल विराजे,
दक्षिण झारखंड अब साजे।
पूरब में बंगाल सुहाता,
पश्चिम उत्तर प्रदेश आता।
बनी राजधानी जब पटना,
तब से चर्चित है यह घटना।।
बारह कोटि अभी आबादी,
वस्त्र विविध कुछ पहने खादी।।
हैं अड़तीस अभी तक मंडल,
जिनके नौ हैं बने प्रमंडल
हैं प्राचीन कथाएँ प्रचलित,
है यह राज्य विश्व में चर्चित।।
पुरुष अधिक हैं कम महिलायें,
क्या कारण है आप बताएँ।
प्रतिशत बासठ शिक्षा दर है,
भूख गरीबी का यह घर है।।
मगही भोजपुरी मृदु भाषा,
बनी मैथिली जग अभिलाषा।
अन्य बोलियाँ कई मनोहर,
हैं बिहार की मुख्य धरोहर।।
दोहा छन्द
पटना सारण पूर्णिया,
दरभंगा मुंगेर।
भागलपुर तिरहुत सहित,
गया बौद्ध-मुंडेर।।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख हैं,
ईसाई कुछ अन्य।
जैन बौद्ध सब जातियाँ,
सबमें प्रेम अनन्य।।