भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मिला आज मौक़ा गँवाना नहीं / बाबा बैद्यनाथ झा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 21 जनवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाबा बैद्यनाथ झा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मिला आज मौक़ा गँवाना नहीं
चलो साथ कोई बहाना नहीं

नदी के किनारे चलो घूमने
भले आज मौसम सुहाना नहीं

कहूँगा वहीं पर ग़ज़ल प्यार की
नया गीत होगा पुराना नहीं

अकेली रहो तो मज़ा खूब हो
वहाँ साथियों को बुलाना नहीं

करो प्यार तो कुछ बनो ढीठ भी
कभी साथ देता जमाना नहीं

हक़ीक़त बयाँ मैं हमेशा करूँ
ग़ज़ल यह किसी को सुनाना नहीं