मिला आज मौक़ा गँवाना नहीं
चलो साथ कोई बहाना नहीं
नदी के किनारे चलो घूमने
भले आज मौसम सुहाना नहीं
कहूँगा वहीं पर ग़ज़ल प्यार की
नया गीत होगा पुराना नहीं
अकेली रहो तो मज़ा खूब हो
वहाँ साथियों को बुलाना नहीं
करो प्यार तो कुछ बनो ढीठ भी
कभी साथ देता जमाना नहीं
हक़ीक़त बयाँ मैं हमेशा करूँ
ग़ज़ल यह किसी को सुनाना नहीं