भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जो भूलें कीं नादानी में / बाबा बैद्यनाथ झा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:49, 22 जनवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाबा बैद्यनाथ झा |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो भूलें कीं नादानी में
करते कुछ लोग जवानी में

तब खूब सताता था उसको
क्या मस्ती थी शैतानी में

हर बार बहा कर ले जाती
यौवन की धार रवानी में

मैंने लिख दी पुस्तक उस पर
फिर दे दी सौंप निशानी में

ले चाव उसे पढ़ते सब हैं
लिख दी हर बात कहानी में