भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सूर्योदय-पूर्व / बलदेव वंशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:31, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= बलदेव वंशी |संग्रह= }} <Poem> अछोर अंधकार सघन,ऊपर हिल...)
अछोर अंधकार सघन,ऊपर
हिल्लौलता हूकता हुंकारता जल नीचे,फेनिल
सागर तट पर...
अचानक, अंगार रेखा दिख गई
लो !
अग्नि के ओभ-विलास की
अनु-लिपि सहसा लिख गई !
अंगार रेखा दिख गई...