भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमारी ज़िन्दगी / श्याम सुशील

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:01, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम सुशील |संग्रह= }} <Poem> '''बाबा नागार्जुन और त्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बाबा नागार्जुन और त्रिलोचन के प्रति

आपका जीना
हमारी ज़िन्दगी है

आप युग-युग तक जीएँ
जिससे
जी सकें हम :
मधु हलाहल
पी सकें हम
ज़िन्दगी का !