गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Last modified on 13 नवम्बर 2008, at 22:14
कविता सुनाई पानी ने-5 / नंदकिशोर आचार्य
अनिल जनविजय
(
चर्चा
|
योगदान
)
द्वारा परिवर्तित 22:14, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह= }} <Poem> भरी है गोद धरती की ...)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
हिन्दी/उर्दू
अंगिका
अवधी
गुजराती
नेपाली
भोजपुरी
मैथिली
राजस्थानी
हरियाणवी
अन्य भाषाएँ
नंदकिशोर आचार्य
»
Script
Devanagari
Roman
Gujarati
Gurmukhi
Bangla
Diacritic Roman
IPA
भरी है गोद धरती की
झरे पत्तों के दुख से :
उसी टीस का उठना है टेसू
जंगल को लपट-सा करता ।