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क्योंकि किसी ने / ऋचा जैन

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क्योंकि
किसी ने गुफाओं की दीवारों में चित्र उकेरे थे
किसी ने पत्थर को तराश कर 'पीटा' उकेरा
किसी ने, क्योंकि किसी ने दर्शाई थी वह दिल को दहला देने वाली चीख पर्यावरण की
किसी ने, किसी ने दिखाए थे चार थन के नीचे करोड़ों दूध के बर्तन और दूर बँधा हुआ एक कमज़ोर, भूखा बछड़ा
किसी ने लगा दिए थे मुखौटे उन बार्सेलोना की नंगी वैश्याओं के चेहरों पर
किसी ने दिखाई प्रसव की असहनीय पीड़ा में शांति की अनुभूति-प्रेम के मात्र एक स्पर्श से
किसी ने खींच काली लकीरें दर्शाईं

आँखें-मनुष्यों की, जानवरों की ढेर भयग्रस्त आखें;
हाथ-कुछ टूटे, कुछ टूटने को; और
मुँह-भूखे, भौंचक खुले हुए

किसी के रोगी मस्तिष्क ने उस असाइलम की खिड़की से देख ली थी वह अद्भुत सितारी रात जिसकी कालिमा चमत्कृत थी सूरज, चाँद, तारों की सफ़ेदी से
कोई बना गया था रातों रात एक दृशय जिसमें नर्स थी वह सुपरहीरो और सुपरमेन कचरे के डिब्बे में
किसी ने समझा दी थी बालकनी में खड़े उस अलग नंगे आदमी को ये बात कि वह खुश नहीं कर सकता सब को

किसी ने कहा "Love is my religion-I could die for it."
अभी-अभी कहा किसी ने, "Our men do not belong to us."
किसी ने कहा 'Still I rise'
"एकला चोलो रे, जोडी तोर डाक शुने केओ ना आशे तोबे एकला चोलो रे" , कहा किसी और ने
किसी ने, क्योंकि किसी ने, किसी ने, किसी और ने भी कहा, उकेरा, खींचा,
इसलिए, बस इसीलिए

कि कहा गया, उकेरा गया, खींचा गया
बेधार हुए वह ना दिखने वाले खंजर
जो वहाँ रहते हैं, जहाँ हम तुम
पर दिखते नहीं
हम तुम दिखते हैं,
इनके घाव नही
हम तुम सहते हैं इनके घाव, मार, काट
छील देते हैं ये अँतड़ियाँ अदृश्य होकर
रिसता है ख़ून सदियों, सड़ता है घाव
उस सड़ांध से उपजती हैं

कुछ और लकीरें, कुछ और चित्र, कुछ और शब्द
बेधार करने कुछ और उन ना दिखने वाले खंजरों को
जो वहाँ रहते हैं, जहाँ हम तुम