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दुख की ठोकर / रुचि बहुगुणा उनियाल

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दुख की ठोकर ने
समझाया सुख के महत्व को
सुख अपने दम्भ में हाथ झटकता निकल गया ।

दुख की एक ठोकर ने
हज़ार-हज़ार सीख दी
सुख के एक आलिंगन से भी
हो गया मतिभ्रम ।

दुख के अवरोध ने सिखाया
कैसे निकलना है बाधा की बेड़ी के बंधन से
जबकि सुख के प्रवाह ने
बनाया पंगु अक़्सर ही प्रतिभा को ।

दुख की हर छोटी-बड़ी ठोकर ने राह के काँटों के प्रति
सदैव सजग रहना सिखाया
जबकि सुख के मात्र एक मखमली स्पर्श ने
अलंघ्य बना दिया हर छोटे-बड़े पड़ाव को ।