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ज़ुल्फ़ को लहराने दो / अनुराधा ओस
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ज़ुल्फ़ को लहराने दो
जमाना तो कुछ भी
कहता ही रहेगा
कैद करने की भूल न करना इन्हें
देख लो जी भरकर
अपने हिस्से के आसमान को
वहीं कहीं बैठकर
उंगलियों में लगा लो नेलपॉलिश
जो घिस कर
बदरंग हो गयी है
अपने आंखों को
जी भरकर देख लो
जिनमे सपने मुरझाने लगे हैं
अपने पैरों को थिरकने दो
संगीत की धुन पर
नाप लो पूरी धरती
देख लो वह हर जगह
जहाँ जाना वर्जित है
बरेली की बर्फी की तरह
तुम भी पूछ सकती हो
सवाल
तुम भी पूछ लो
वर्जिन हो क्या तुम?