भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भय और भूख / अनुराधा ओस

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:12, 30 अप्रैल 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुराधा ओस |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भय और भूख
दुःख और मौन

जब नहीं बदल पाते डर में
तब वह बदल जाते हैं
साहस में

और पांव चल पड़ते हैं
उस ओर
जहाँ से परिवर्तित हो जाता है
भय
साहस में

जब भी और भूख और भय
हमें छलते हैं
तब हम भूख और भय की परिभाषा
समझने को निकल पड़तें हैं

वहाँ जहाँ कभी पहुँचे थे बुद्ध
हमारी सभ्यता हमें धकेल
देती हैं एकांत में

भूख और भय की परिभाषा
जानने के लिए॥