भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अश्वमेधी घोड़ा / कमल जीत चौधरी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:25, 18 मई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल जीत चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तुम्हें पेड़ से हवा नहीं
लकड़ी चाहिए
नदी से पानी नहीं
रेत चाहिए
धरती से अन्न नहीं
महँगा पत्थर चाहिए
...
पक्षी मछली और साँप को भूनकर
घोंसले सीपी और बाम्बी पर
तुम अत्याधुनिक घर बना रहे हो
पेड़ नदी और पत्थर से
तुमने युद्ध छेड़ दिया है
पाताल धरती और अम्बर से —
तुम्हारा यह अश्वमेधी घोड़ा पानी कहाँ पीएगा ?