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ख़बरदार / डोरियन लौऊ / रंजना मिश्र

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यह पतझड़ है
और हम किताबों से निज़ात पा रहे हैं
किसी छोटी सी आसानी से गुज़र - बसर लायक जगह के लिए
चीज़ों को छोड़ने को तैयार
हम पीछे लौट रहे हैं
घर को उम्र के अनुसार ढालते हुए

फ़र्श पर ऐसा कुछ नहीं जिससे फिसलकर गिरा जा सके
धीमे होते शरीर के लिए कोई रुकावट नहीं
दो लोगों के लिए एक छोटी सी मेज़
हमारी दुनिया सिमट रही है

आलमारियाँ क़रीब - क़रीब ख़ाली
तंग कपड़ों और नृत्य के जूतों से
घण्टियाँ और सीटियाँ अब नहीं
कोई मेहमान जब हमारे घर आता है
और शेक्सपीयर रचनावली, शब्दकोश में बाज़ के पंखों के बुकमार्क
और ताखे में रखे
सजावटी लोहे के फरिश्ते की तारीफ़ करता है,
हम कहते हैं
ले जाओ

यह सबसे महत्वपूर्ण समय है
यह जानते हुए छोड़ने का
कि हम जो पीछे छोड़ जाएँगे
वह फूलते वृक्षों की सुगन्ध - सा है
जिसकी गन्ध तब भी बनी रहती है
जब आप उन्हें पीछे छोड़ आए हों
एक क्षण के लिए अपनी सांसों में भरते
अगले ही क्षण छोड़ देने के लिए ।

और एक मामूली सा मंगलवार
जब एक कहे ’खबरदार’ और दूसरा हंस दे...

2000

अँग्रेज़ी से अनुवाद : रंजना मिश्र

लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
                Dorianne Laux
                   I Dare You

It’s autumn, and we’re getting rid
of books, getting ready to retire,
to move some place smaller, more
manageable. We’re living in reverse,
age-proofing the new house,

nothing on the floors to trip over, no hindrances
to the slowed mechanisms of our bodies,
a small table for two. Our world is
shrinking,

our closets mostly empty,
gone the tight skirts and dancing shoes,
the bells and whistles. Now, when
someone comes to visit and admires
our complete works of Shakespeare,
the hawk feather in the open dictionary,
the iron angel on a shelf, we say
take them.

This is the most important
time of all, the age of divestment,
knowing what we leave behind is
like the fragrance of blossoming trees
that grows stronger after
you’ve passed them, breathing
them in for a moment before
breathing them out.

An ordinary
Tuesday when one of you says
I dare you, and the other one
just laughs.