सुख़ूम में अँग्रेज़ / दऊर ज़नतारिया / अनिल जनविजय
सुख़ूम में अचानक हुई मेरी एक अँग्रेज़ से मुलाक़ात
कॉफ़ीहाउस में ले गया मैं उसे, करने के लिए बात
वो बोल रहा था रूसी शब्दों का चुन-चुन हर मनका
कहीं एस्तोनियाई तो नहीं, मन में पैदा हो गई शंका
तमाशबीनों की भीड़ ने तुरन्त लिया हमें यूँ घेर,
ऊपर से मैं शान्त था पर मन के भीतर था फेर
उसे एनजाइना की बीमारी है, उसने यह बताया
दवाइयों की ज़रूरत है, उसने यह भी समझाया
कमीज़ के नीचे दिल ने कुछ महसूस की शराफ़त
अँग्रेजी कमीज़ पहने था मैं, दिल में थी ये हरारत
विजिटिंग कार्ड निकाला उसने और मुझे थमाया
फिर बड़ी मौहब्बत से उसने लन्दन मुझे बुलाया
कहाँ रुकेगी रेलगाड़ी और उतरना है कहाँ - कैसे
कोई भी आपको बता देगा कहाँ रहता है जॉर्ज वैसे
भाई सैलानी, मैं नहीं आऊँगा, चाहे तुम जितना बुलाओ
अपने उन द्वीप समूहों से तुम चाहे कितना भी लुभाओ
वहाँ, कोहरा घना होता है कि दम घुट जाएगा मेरा
आदमखोर बघेरों के बीच, भला, क्या करेगा ये बछेरा
बिन सोडा नीट व्हिस्की पीकर जब हो जाऊँगा मदहोश
न जानूँ तमीज़ तुम्हारी, रानी की तौहीन करूँगा खोकर सब होश
बेहतर यही कि भैया, आप हमारे पास आएं हर साल
डालर, यूरो, पौण्ड जैसी अपनी सब मुद्रा लाएँ हर साल
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता रूसी भाषा में पढ़िए
Даур Зантария
Англичанин в Сухуме
Я встретил англичанина в Сухуме.
Я смело пригласил его в кофейню.
Он сносно говорил по-русски
«Уж не эстонец ли», – мелькнуло подозренье.
Толпа зевак нас тут же окружила,
Но я спокоен был:
Мы говорили только о лекарствах.
Он жаловался на стенокардию,
И я из вежливости щупал сердце под рубашкой,
Смущаясь, что и она – английское изделье.
И, карточку визитную вручая,
Он пригласил меня в далекий Лондон:
Как выйдешь, дескать, как с поезда сойдешь,
Каждый укажет тебе, где живет одинокий Джордж.
Самоуверенный интурист,
Не заманишь ты меня на свои острова.
Да я там задохнусь от туманов!
Я на первом же рауте виски без соды напьюсь!
Я королеву оскорблю
(Совершенным незнанием вашего этикета)!
Нет, лучше ты к нам ежегодно приезжай
И валютой плати.