भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कालजयी जीवन का सत्य / शील
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:19, 1 जून 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शील |अनुवादक=लाल पंखों वाली चिड़ि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आओ ! बाँट लें –
आपस में – सुख के लिए दुख,
आनेवाले उर्वर दिनों की आशाओं में
जुड़ने के लिए ।
रक्त पीती नैतिकता की –
रणनीति, अर्थनीति,
और रोगी मानसिकता से मुक्ति का –
एक सही अर्थ ...
ख़ामोशी तोड़ने का काम ।
आओ ! बाँट लें –
आपस में – सुख के लिए दुख,
आनेवाले उर्वर दिनों की आशाओं में
जुड़ने के लिए ।
वसन्त के पूर्व, पतझर की प्रक्रिया में –
झर रहा है, शीत आतंक ।
–
19 दिसम्बर 1988