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।।सृजन-सम्मान द्वारा रचनाकारों से प्रविष्टियाँ आमंत्रित ।।

रायपुर । छत्तीसगढ राज्य की बहुआयामी सांस्कृतिक संस्था “सृजन-सम्मान” द्वारा साहित्य, संस्कृति, एवं भाषा की विभिन्न 27 विधाओं में प्रतिष्ठित रचनाकारों को पिछले 6 वर्षों से प्रतिवर्ष दिये जाने वाले पुरस्कार हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जा रही हैं । प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2006 है । छत्तीसगढ राज्य के गौरव पुरुषों की स्मृति में ये सम्मान प्रतिवर्ष आयोजित 2 दिवसीय अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव में प्रदान किये जाते हैं । संस्था द्वारा सम्मान स्वरुप रचनाकारों को 21, 11, 5, हजार नगद, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, शॉल, श्रीफल एवं 500 रुपयों की कृतियाँ राज्य के महामहिम राज्यपाल एवं देश के चुनिंदे वरिष्ठ साहित्यकारों की उपिस्थिति में प्रदान की जाती हैं ।

प्रविष्ठि हेतु विधावार सम्मानों के नाम हैं :

1.हिन्दी गौरव सम्मान(बेबसाईट संपादक या ब्लाग), 2.पद्मश्री मुकुटधर पांडेय सम्मान(लघुपत्रिका अंतरजाल सपादन ) 3.पद्मभूषण झावरमल्ल शर्मा सम्मान (पत्रकारिता हेतु समर्पित समग्र व्यक्तित्व) 4.महाराज चक्रधर सम्मान (ललित निंबध) 5.मंहत बिसाहू दास सम्मान (कबीर साहित्य या संगीत पर विशिष्ट कार्य ) 6.प.गोपाल मिश्र सम्मान (कविता) 7.नारायण लाल परमार सम्मान (गीत-नवगीत, बाल साहित्य एवं कविता) 8.डॉ.बल्देव प्रसाद मिश्र सम्मान(कहानी/कहानीकेंद्रित आलोचना)9.डॉ.कन्हैया लाल शर्मा सम्मान (पर्यावरण, (लेखन सहित) 10.माधव राव सप्रे सम्मान, (लघुकथा विधा में महत्वपूर्ण लेखन ) 11.दादा अवधूत सम्मान (शिक्षा, शैक्षिक लेखन) 12.प्रमोद वर्मा सम्मान (आलोचना) 13.रामचंद्र देशमुख सम्मान (लोक साहित्य ) 14.प्रो.शंकर तिवारी सम्मान (पुरातात्विव अनुसंधान या पुरातत्व लेखन) 15.प्रवासी सम्मान (विदेश में रहकर हिन्दी सेवा) 16.समरथ गंवईहा सम्मान(व्यंग्य लेखन में उल्लेखनीय कार्य) 17.विश्वम्भर नाथ सम्मान (छंद की किसी भी विधा में महत्वपूर्ण लेखन) 18.मावजी चावडा सम्मान (बाल साहित्य लेखन, शोध, अनुसंधान) 19.मुस्तफा हुसैन सम्मान (गजल विधा में अप्रतिम योगदान) 20.रजा हैदरी सम्मान (ऊर्दू गजल लेखन) 21.राजकुमारी पटनायक सम्मान (भाषा, लोकभाषा हेतु उल्लेखनीय भूमिका) 22.हरि ठाकुर सम्मान (समग्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व) 23. अनुवादसम्मान(अनुवाद)24.अहिन्दीभाषी सम्मान(अहिन्दीभाषी द्वारा हिन्दीसेवा) 25.प्रथम कृति सम्मान(किसी भी विधा में पहली किताब) 26.कृति सम्मान(महत्वपूर्ण अप्रकाशित पांडुलिपि) 27.सृजन-श्री सम्मान (किसी भी विशिष्ट प्रकाशित कृति)

नियमः-

1. प्रथम कृति सम्मान के अंतर्गत नये रचनाकार की अप्रकाशित पांडुलिपि को चयन उपरांत प्रकाशित की जायेगी । जिसकी 100 प्रतियाँ रचनाकार को प्रदान की जायेगी । कृति सम्मान हेतु किसी वरिष्ठ रचनाकार की प्रकाशित या अप्रकाशित किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण पांडुलिपि को चयन उपरांत प्रकाशित की जायेगी । जिसकी 100 प्रतियाँ रचनाकार को प्रदान की जायेगी । इसमें इस वर्ष आलोचना या ललित निंबध विधा पर ही विचार किया जायेगा । 2. हिन्दी गौरव सम्मान हेतु अपने बेबसाईट या ब्लाग का विस्तृत विवरण, तकनीकी पक्ष, प्रवंधन, पता, ई-मेल आदि हमारे पते पर भेजना होगा । 3. सभी सम्मान हेतु रचनाकार स्वयं या उसके लिए अनुशंसा करने वाले को रचनाकार सहित स्वयं का बायोडाटा, 1 छायाचित्र, कृति की दो प्रतियां अनिवार्यतः भेजनी होगी । प्रविष्टि वाले डाक में अ.भा.अलंकरण-2006 एवं सम्मान का नाम लिखा होना अपेक्षित रहेगा । अंतिम चयन हेतु गठित उच्च स्तरीय चयन मंडल का निर्णय सर्वमान्य होगा । 4. प्रविष्टि हेतु संपर्कः- जयप्रकाश मानस, संयोजक,चयन समिति, सृजन-सम्मान (प्रादेशिक कार्यालय), छत्तीसगढ माध्यमिक शिक्षा मंडल, आवासीय कॉलोनी, पेंशनवाडा, रायपुर, छत्तीसगढ, पिन-492001

               अध्यक्ष
       सृजन-सम्मान, छ्त्तीसगढ



अय्यप्प पणिक्कर नहीं रहे

अय्यप्प पणिक्कर [1930-2006]

मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि, समीक्षक और दार्शनिक डा अय्यप्प पणिक्कर का २३ अगस्त 2006 को त्रिवेंद्रम में निधन हो गया। वे मलयालम कविता में आधुनिक चेतना के प्रवर्तक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी उपस्थिति और रचनात्मक प्रतिभा से केवल साहित्य ही नहीं बल्कि केरल के समस्त बुद्धिजीवी समाज को प्रभावित किया।

१२ सितंबर १९३० को कावालम के एक गाँव में जन्मे इस महाकवि की कविताएं 'अय्यप्प पणिक्करुडे कृतिकल‍' शीर्षक से चार भागों में तथा निबंध 'अय्यप्प पणिक्करुडे लेखनङ्ल्' शीर्षक से पांच भागों में संग्रहित हैं।

उन्होंने अमेरिका के इंडियाना विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद येल व हार्वर्ड विश्वविद्यालयों में उच्चतर शोध कार्य किया। १९६५ में वे केरल विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्राध्यापक नियुक्त हुए तथा विभागाध्यक्ष बन कर सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अनेक ग्रंथों का कुशल संपादन किया, जिनमें शेक्सपियर के संपूर्ण साहित्य का मलयालम अनुवाद और समस्त मध्ययुगीन भारतीय साहित्य का अंग्रेज़ी अनुवाद अत्यंत महत्वपूर्ण समझे जाते हैं। वे अपने जीवनकाल में अनेक साहित्यिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संस्थाओं के पदाधिकारी भी रहे।

इन विशिष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें देश विदेश के अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें एक से अधिक साहित्य अकादमी पुरस्कार, भारत सरकार का पद्मश्री [२००४], तथा सरस्वती सम्मान [2006] प्रमुख हैं।

राजेश चेतन काव्य पुरस्कार

डा. रमाकान्त शर्मा पुरस्कार लेते हुए
सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’

भिवानी ८ अगस्त २००६, सांस्कृतिक मंच, भिवानी द्वारा भिवानी में जन्मे अंतर्राष्ट्रीय कवि श्री राजेश चेतन के जन्मदिन पर उनके नाम से एक पुरस्कार आरंभ किया गया। नेकीराम शर्मा सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री महेन्द्र कुमार, उपायुक्त्त भिवानी मुख्य अतिथि के रुप मे उपस्थित थे व बी टी एम के महाप्रबंधक श्री राजेन्द्र कौशिक ने समारोह की अध्यक्षता की, साहित्य अकादमी हरियाणा के निर्देशक श्री राधेश्याम शर्मा के सान्निध्य व श्री राजेश चेतन की उपस्थिति में युवा गीतकार डा. रमाकान्त शर्मा को ‘राजेश चेतन काव्य पुरस्कार’ अर्पित किया गया।

पुरस्कार वितरण के बाद एक कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया जिसमें पूज्यसंत मुनि जयकुमार, श्री महेन्द्र शर्मा, श्री गजेन्द्र सोलंकी, डा. रश्मि बजाज, श्रीमती अनीता नाथ तथा अरुण मित्तल ‘अद्भुत’ ने काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन प्रख्यात कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के महामंत्री श्री जगतनारायण ने किया।

समारोह में सर्वश्री बुद्धदेव आर्य, गिरधर, डा आर डी शर्मा, भारत भूषण जैन, सुरेंद्र जैन, सज्जन एडवोकेट की विशिष्ट उपस्तिथि नें समारोह को गरिमा प्रदान की।