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वीनस के प्रति / रणजीत
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जब तुम न हँसती-बोलती हो तब मुझे एहसास होता है
कि वीनस तुम हो पत्थर की, नहीं पर यह हृदय हत्आश होता है
इतना ही मुझे काफी कि धरती पर तुम्हें मैं देख पाता हूँ
नहीं तो देवियों का घर सदा आकाश होता है।