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दो रुबाइयाँ / रणजीत

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1.
मुझे शैतान से कुछ लेना न देना है
मुझे भगवान से कुछ लेना न देना है
जो कुछ लेना-देना है सब इन्सान से है मेरा
किसी पाषाण से कुछ लेना न देना है।
2.
मुझे रस्मों-रिवाजों की फ़िकर नहीं
मुझे धर्मों-समाजों की फ़िकर नहीं
फ़िकर है तो बस इन्सान की फ़िकर है मुझको
किन्हीं अर्शी आवाज़ों की फ़िकर नहीं।