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प्रेम करो / चित्रा पंवार
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प्रेम करो
जैसे मिट्टी करती है
बीज से
जैसे पहाड़ करते हैं
नदी से
मां करती है शिशु से
आसमान करता है
जमीन से
वैसे ही तुम प्रेम करो मुझे
नेह का एक छोर थाम कर
मुक्त करो मुझे
मेरे लिए