भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गोमती किनारे-4 / जया आनंद

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:02, 17 जुलाई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जया आनंद |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गोमती किनारे
मुस्कुराता एक शहर
बागों का शहर
यादों का शहर
रिश्तों का शहर
नातों का शहर
दोस्तों का शहर
यारों का शहर
सपनों का शहर
वादों का शहर,
जिसके हर गली
मोहल्लों का शोर
सुना-सुना सा
हर रास्ते जाने पहचाने से,
बचपन के कदमों ने जिन्हें चूमा
यौवन के आंचल से जहाँ मन झूमा
उन रास्तों से कदम होते गए दूर
पर मन कहीं बारिश-सा बरस
उन रास्तों को नम कर गया, वही बस गया
वह मेरा अपना-सा शहर
लखनऊ!