भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मरूद्वीप समय / विचिस्लाफ़ कुप्रियानफ़ / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:01, 19 जुलाई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विचिस्लाफ़ कुप्रियानफ़ |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
देखो
समय का यह मरूद्वीप
अन्तरिक्ष के रेगिस्तान में
निर्मल झरना, प्रेरणा का ।
हम देखते हैं इसमें
जैसे देखते हैं आइने में ।
पीते हैं
जो देखते हैं हम ।
हवस में सत्ता की
जाने को वहाँ तक
जहाँ कुछ नहीं होता
देखने को ।