भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बीड़ी फूँक फूँक(गीत) / राजकुमारी रश्मि
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:51, 26 अगस्त 2023 का अवतरण
बीड़ी फूँक फूँक
दिन अपने
काटे रामभजन ।
तीन माह से मिल वालों से
वेतन नहीं मिला,
कितने घर ऐसे हैं जिनमें
चूल्हा नहीं जला,
आश्वासन की बून्दें कब तक
चाटे रामभजन ।
'काम बन्द' की तख़्ती टाँगे
रोज़ हुई हड़तालें,
उस पर बढ़ती महँगाई ने
पतली कर दी दालें,
चढ़े हुए करज़े को
कैसे पाटे रामभजन ।
लीडर की बातों मे आकर
मारी पैर कुल्हाड़ी,
कई कई दिन उसे कहीं भी
मिलती नहीं दिहाड़ी
दारू भी तो नहीं
कहाँ दुख बाँटे रामभजन ।