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यादों की धूल / रीटा डाव / अनिल जनविजय

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हर दिन तो एक जंगल है, बेउला !
दृश्यों में कोई रंग नहीं है, बेउला !
छोटी-छोटी बातों में भी धैर्य दिखलाओ ।
फिर इस जीवन से, भला, क्यों न ऊब जाओ ।
ये सूरज है कि किरणों का कहर
ज्यों बरछियों ने बोला हो धावा
फिर उसके धूसर कपड़े भी दोपहर
जीवन को बनाते लावा ।

उसे याद आते हैं लोग
और यादों की फ़ुनगियाँ
चमकने लगती हैं गहराई से ।

भला, क्या नाम था उसका,
मेले में मिला वह बौड़म लड़का
’बन्दूक — निशाना — फूटा गुब्बारा’ की गुमटी पर ।
और उसका वो चुम्बन
ज्यों सुवर्ण मीन कोई तैर गई थी निखरे जल सी भृकुटी पर,
एक तरंग उठी थी,
एक घाव लगा था ।

शायद माइकेल था उसका नाम
नहीं, नहीं — कुछ बेहतर था —
वह गहरी सांस लेती है
यादों की उड़ती है धूल
खिलने लगते हैं मन में जैसे कनेर के फूल ।

यादें लहराती हैं मन में —
घर झिलमिलाता है कुछ-कुछ नाचता सा
पूरी तरह खुला है सामने का दरवाज़ा
दीवानख़ाने में भर रही है गिरती बर्फ़ ताज़ा
चूल्हे पर चढ़ाती है वह पानी भरा पतीला
स्मृति में डोल रहा है वही बौड़म छैल-छबीला
यादों की गरमी से ज्यों
बर्फ़ की लटकन पिघल जाती है
फिर से जल में बदल वो यूँ ही तिर जाती है ।

बरसों पुरानी बात है ये
पिता छोड़ गए थे उसको
धीरे-धीरे बरस ये बीते
अब मशहूर हो गई है वो
तो ये वादा रहा
कि पैदा नहीं होगा अमन में सहरा कोई
नहीं लगेगा जीवन पर अब पहरा कोई

बहुत पहले आफ़ताब औ’ दरख़्त ने की थी साज़िश
ज़िन्दगी को बना दिया था पूरी आतिश
तब जिससे मन को थोड़ी छाँह मिली थी
नाम था उस बौड़म का मियाँ — मौरिस

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
              Rita Dove
                Dusting

Every day a wilderness—no
shade in sight. Beulah
patient among knickknacks,
the solarium a rage
of light, a grainstorm
as her gray cloth brings
dark wood to life.

Under her hand scrolls
and crests gleam
darker still. What
was his name, that
silly boy at the fair with
the rifle booth? And his kiss and
the clear bowl with one bright
fish, rippling
wound!

Not Michael—
something finer. Each dust
stroke a deep breath and
the canary in bloom.

Wavery memory: home
from a dance, the front door
blown open and the parlor
in snow, she rushed
the bowl to the stove, watched
as the locket of ice
dissolved and he
swam free.

That was years before
Father gave her up
with her name, years before
her name grew to mean
Promise, then
Desert-in-Peace.
Long before the shadow and
sun’s accomplice, the tree.

Maurice.

November 1981