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अल्हड़ फुहारें / राम विलास शर्मा

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सतरंगे परिधानों से सजी-सँवरी
अल्हड़ फुहारें
जोहती हैं बेकली से बाट
जाने कब जुतेंगी
निगोड़ी
ये हवाओं की बैलगाड़ियाँ ।