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तेरे कुछ तेवर रखें हैं / शिव रावल
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इंद्रधनुष के रंग रखे हैं तेरे कुछ तेवर रखें हैँ
बीते लम्हों में यूँ लिपटे मिलते हैँ इश्क़ के अफ़साने
संदूक में जैसे पुराने ज़ेवर रखें हैँ...
तकिये के नीचे तेरा नाम रखा है, सुना है वह शरेआम रखा है,
कल के कुछ जज़्बात भी हैँ जो आज तलक़ बेख़बर रखें हैँ
बागों-बहारों के रुख़ रखें हैँ
सिलसिलों के दरमियाँ कुछ शब-ओ-सहर रखे हैँ
इत्मीनान की गोद में पहला इंतज़ार रखा है
रुक्सत के ज़मानो में कमाए दूरियों के कुछ समंदर रखे हैँ
रुस्वा-सी एक रात की उम्र रखी है
उदास दिनों के वहम रखे हैं,
तुमने जिसे भुला दिया था वह ख़याल साथ मैंने हरदम रखे हैं,
मायूस मेरे अरमान रखे हैँ
अपनी ज़ुबान थाम रखे हैँ
तुम हाथ रख के देख लेना 'शिव'
शायद तुम्हारी उंगलियों के निशान रखें हैं