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चाहे दुनियादारी रखना / पंकज कर्ण
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चाहे दुनियादारी रखना
इस घर की रखवारी रखना
मन भर जाए जब दर्पण से
तब पत्थर से यारी रखना
जिह्वा पर लगता मुश्किल है
बातें प्यारी-प्यारी रखना
यह भी तो अपराध बड़ा है
इश्क़ की कारोबारी रखना
जब 'पंकज' नीलाम हो गया
फिर क्या नकद उधारी रखना