राजा / ज़करिया मोहम्मद / अनिल जनविजय
यहाँ
मैं अपने कुत्तों को पालता हूँ
उन्हें दूध पिलाता हूँ और खुबानियाँ खिलाता हूँ
और शाम को उन्हें समुद्र किनारे घुमाने ले जाता हूँ ।
यहाँ
एक बेदख़ल कर दिया गया बादशाह है :
सूरज तेज़ चमक रहा है मेरे ऊपर
और हम चोरों को लेकर पछतावा करते है
सपना उलझ जाता है ।
यहाँ
नमी और धूप में सड़ चुके हैं मेरे विचार
मेरी दाढ़ी के नीचे टपक रही है शराब
मेरे कुत्ते मुझे शाम को समुद्र की ओर खींच ले जाते हैं
मैं उनके गले में बँधे पट्टे पर हाथ रखता हूँ
और पट्टे को खोल देता हूँ
और वे मुझे समुद्र में डुबो देते हैं ।
1987
मूल अरबी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता लैला चम्मा के जर्मन अनुवाद में पढ़िए
Zakaria Mohammed
König
Hier
päppele ich meine Hunde,
nähre sie mit Aprikosen und Milch,
und abends führe ich sie ans Meer.
Hier, wie ein gestürzter König:
gleißende Sonne,
reuige Diebe,
ein wirrer Traum.
Hier nun
verwesen, Nässe und Sonne ausgeliefert, meine Gedanken,
läuft mir der Wein über den Bart,
und abends zerren mich meine Hunde ans Meer.
Ich halte sie an der Leine,
meine Hand gibt ihnen nach,
sie ertränken mich in der See.
1987
Aus dem Arabischen von Leila Chammaa
लीजिए, अब यही कविता मूल अरबी भाषा में पढ़िए
زكريا محمد
ملك
هنا
أربي كلابي
وأطعمها مشمشا وحليبا
وآخذها في المساء إلى البحر
هنا كالملوك المقالين:
شمس تناور فوقي
وندامى لصوص
وأضغاث حلم
ههنا
فكرتي تتعفن تحت الرطوبة والشمس
ويسيل نبيذي على لحيتي
وكلابي تجرجرني في المساء إلى البحر:
أطواقها في يدي
ويدي تستجيب لها
وتغرقني في المياه.
١٩٨٧