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घर मेरा सुन्दर हुआ / हरिवंश प्रभात

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घर मेरा सुन्दर हुआ, महका है उपवन आपसे।
हो गया गुलज़ार है वीरान आँगन आपसे।

दूर क्यों हैं पास आएँ, प्यार की बातें करें,
बातों-बातों में कटेगा सारा जीवन आपसे।

आपका एहसान भूलेंगे नहीं हम उम्र भर,
ताजगी जो पा रहा यह मेरा गुलशन आपसे।

आपके हँसने से मेरा मन का दीपक जल रहा,
जगमगा उठा है सोया-सोया-सा मन आपसे।

जब अकेले रात में, ‘प्रभात’ होते आप हैं,
बात करते उनके हाथों के हैं कंगन आप से।