भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अँधेरा दूर कर दो (मुक्तक) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:13, 12 नवम्बर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
माँगते वरदान इतना, सब अँधेरा दूर कर दो।
आँगन, गली हर द्वार पर, ज्ञान के तुम दीप धर दो।
जग-मरुथल में हे प्रभुवर! नीर करुणा का बहा दो
सन्ताप जग में हैं बहुत, प्रेम का उजियार भर दो ।
(11-11-23’)