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यह धीमा स्वर / मेमचौबी देवी
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विजय या पराजय
वो कथा है किसी सन्दर्भ की
जानते हो मित्र
नहीं रुक पा रही जाए बिन
इस राह, नकोई पद-चिह्न जहाँ,
लेकिन सिवा इसके
जाऊँ भी कहाँ !
पैरों से रिसता ख़ून
हृदय से बहता ये लहू
जानते हो दोस्त
चिह्न है प्रेम का
लहू का ये रक्तिम वर्ण
रंग है प्रेम का
इस रंग से, इस लहू से
धोना है
यह ढेर मैल का, मैल का यह ढेर
सुन रहे हो स्वर यह धीमा-धुंधला
पोर-पोर सूख गए इस गले से
जान लो,जान लो दोस्त
एक दिन,एक दिन अवश्य ही
कंपायमान होगा
यह धीमा स्वर
धूमिल यह चेहरा
मणिपुरी से अनुवाद : इबोहल सिंह कांजम