क्यूँ जो बंदे ज़हीन होते हैं।
वही अक्सर मशीन होते हैं।
बीतना चाहते हैं कुछ लम्हे,
और हम हैं घड़ी न होते हैं।
प्रेम के वो न टूटते धागे,
जिनके रेशे महीन होते हैं।
वन में उगने से, वन में रहने से,
पेड़ सब जंगली न होते हैं।
उनको जिस दिन मैं देख लेता हूँ,
रात सपने हसीन होते हैं।
खट्टे मीठे घुले कई लम्हे,
यूँ नयन शर्बती न होते हैं।