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गर ये दिल का मकान है ख़ाली / नफ़ीस परवेज़

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गर ये दिल का मकान है ख़ाली
सारी दुनिया जहान है ख़ाली

ज़िन्दगी में नहीं रहे मेले
हसरतों की दुकान है ख़ाली

चाँद जाने कहाँ पे खो आए
दूर तक आसमान है ख़ाली

मरहले और आने वाले हैं
ये तो इक इम्तिहान है ख़ाली

मछलियाँ शर्म से मरी होंगी
काँच का मर्तबान है ख़ाली

हम तो ख़ादिम हैं आप मालिक हैं
ये सियासी बयान है ख़ाली

ये न समझें कि दिल से ख़ाली हैं
बस ज़ुबाँ साहिबान है ख़ाली

ज़िन्दगी से अभी नहीं हारे
बस ज़रा सी थकान है ख़ाली