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ख़ुशबुओं ने दिया हवाला है / नफ़ीस परवेज़

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ख़ुशबुओं ने दिया हवाला है
कोई गुल-रंग आने वाला है

चाँदनी आसमाँ से उतरी है
जिस्म से रूह तक उजाला है

ठोकरें तो बहुत थी राहों में
उसके अहसास ने सँभाला है

कह रहा है मिज़ाज दरिया का
कोई तूफ़ान आने वाला है

मेरे कमरे में कुछ उदासी है
कुछ किताबें हैं और जाला है

जिंदगी तेरी बेवफ़ाई को
हमने हँस कर ख़ुशी में टाला है

बाद मरने के जिंदगी न मिले
जिंदगी ने तो मार डाला है