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जिससे भी दूरी रक्खी है / नफ़ीस परवेज़
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जिससे भी दूरी रक्खी है
दिल से नज़दीकी रक्खी है
सारी उम्र गुज़ारी यूँ ही
यूँ ही दुन्या जी रक्खी है
दिल का हाल लिखा था जिसमें
अब तक वह चिठ्ठी रक्खी है
जो तस्वीर बनी थी दिल में
अब भी वैसी ही रक्खी है
ज़्यादातर तो पी ली हमने
बस थोड़ी बाक़ी रक्खी है
अपनी फ़नकारी का हासिल
टूटी इक कुर्सी रक्खी है
चाबी के गुच्छे में ही तो
ताले की चाबी रक्खी है
इक दिन तो जाना ही होगा
हमने तैयारी रक्खी है