भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बहारों की तरह आओ तो जानें / नफ़ीस परवेज़

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 27 फ़रवरी 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नफ़ीस परवेज़ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहारों की तरह आओ तो जानें
दिलों में फूल महकाओ तो जानें

हमारी हर खुशी में साथ थे तुम
ग़मों में साथ चल पाओ तो जानें

गुलों को ख़ूब सीने से लगाया
कभी काँटों को सहलाओ तो जानें

लिए जो फिर रहे हो आइने तुम
कभी ख़ुद भी नज़र आओ तो जानें

सभी सच्चाई का परचम लिए हैं
है झूठा कौन लिख पाओ तो जानें
 
हमारे दिल को बहला तो रहे हो
ज़रा ख़ुद को भी समझाओ तो जानें

हमें मालूम है इक दिन है मरना
ये जीना क्या है बतलाओ तो जानें