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ख़ुदा करे ये सफ़र कामयाब हो जाए / नफ़ीस परवेज़

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ख़ुदा करे ये सफ़र कामयाब हो जाए
ये जलती धूप शब-ए-माहताब हो जाए

वो एक अक्स जो ख़्वाबों में रोज़ बनता है
वो एक रोज़ तो ताबीर-ए-ख़्वाब हो जाए

जो वह बिखेर दे ज़ुल्फ़ें ज़रा-सी शानों पर
तो इन निगाहों में पानी शराब हो जाए

ये दास्ताने मुहब्बत है रोज़ पढ़ना है
रखे हुए न पुरानी किताब हो जाए

सवाल देर से करना कसूर है मेरा
सवाल कर ही लिया तो जवाब हो जाए

हमारे हिस्से की ख़ुशियाँ अगर बक़ाया हों
यदा कदा ही सही कुछ हिसाब हो जाए