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चिड़िया / वैशाली थापा
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मैंने पेड़ उखाड़ा
आसमान में टांग दिया
बादल से सड़के बनाई
शक्लों की जगह रख दिया चाँद
और झोपड़ी को नदियों का
उद्ग्म स्थल बना दिया।
औरत की तरह दीखती हुई सी
चट्टाने बनाइ और हर चट्टान के ऊपर
रख दिया एक-एक सूरज।
मैंने बनाया शेर
शेर को पहनाई जंजीर
और गधे के हाथ थमा दी ज़ंजीर
इस तरह उलट-पलट कर
मैं नौसिखिया ने
चित्र का बंटाधार किया।
उस ही में मैंने एक चिड़िया भी उकेरी
उसके पंजे को जमीन में रोप दिया
इंगित करके उसकी ओर लिख दिया नाम
प्रेम।