भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विजय दिवस / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:13, 2 मई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल जनविजय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
माँ का पेट चीरकर
उन्होंने निकाला
वह अविकसित भ्रूण
फिर
त्रिशूल पर लटकाकर उसे
आसमान की ओर उठाया
और
देर तक हवा में लहराया
इस तरह
उन्होंने मुसलमानों को
हिन्दू राष्ट्र भारत से भगाया
और विजय दिवस मनाया ।