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मैनूँ विदा करो, मेरे राम, मैनूँ विदा करो / शिव कुमार बटालवी

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मैनूँ विदा करो, मेरे राम, मैनूँ विदा करो
कोसा हँझ शगन पाउ सानूँ, बिरहा तली धरो ।
ते मैनूँ विदा करो ।

वारो पीड़ मेरी दे सिर तों नैण-सराँ दा पाणी
इस पानी नूँ जग्ग विच वण्डो हर इक आशक ताणीं
प्रभ जी जे कोई बून्द बचे उहदा आपे घुट्ट भरो
ते मैनूँ विदा करो ।
कोसा हँझ शगन पाउ सानूँ बिरहा तली धरो ।
ते मैनूँ विदा करो ।

प्रभ जी एस विदा दे वेले सच्ची गल्ल अलाईए
दान कराईए जाँ कर मोती, ताँ कर बिरहा पाईए
प्रभ जी हुन ताँ बिरहों-वेहूणी मिट्टी मुकत करो
ते मैनूँ विदा करो
कोसा हंझ शगन पाउ सानूँ बिरहा तली धरो ।
ते मैनूँ विदा करो ।

दुद्ध दी रुत्ते अँमड़ी मोई बाबल बाल वरेसे
जोबन रुत्ते सज्जन मर्या मोए गीत पलेठे
हुन तां प्रभ जी हाड़ा जे साडी बाँह ना घुट्ट फड़ो
मैनूँ विदा करो ।
कोसा हँझ शगन पाउ सानूँ बिरहा तली धरो ।
ते मैनूँ विदा करो ।