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बढ़े चलो / निमिषा सिंघल

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लक्ष्य पर हो आँख ,
ख़ुद पर हो विश्वास।

बाधाओं से न डर हो,
बाज से निडर हो।

अर्जुन से हो शिकारी
मंजिल की बेकरारी ।

सर पर ज़ुनून सवार हो,
लहू में उबाल हो।

खुद से ख़ुद की लड़ाई हो,
अनुशासन की कड़ाई हो।

मुख मोड़ कर न भागो तुम,
संग्राम है ये जीवन,
नींद को त्यागो तुम।

जिंदगी चाहे
कितने भी इम्तिहान लेती हो,
याद रखना चीते-सी तेजी हो।

गुजरना है कई
अग्नि परीक्षाओं से
तुम्हें बार -बार,
डर कर न यूँही
मान लेना तुम हार।

मोम-सा ख़ुद को पिघला दो तुम,
तपोभूमि है ये जीवन
खुद को तपा दो तुम।

गौण है मंजिलें, चट्टानी इरादों के आगे,
मेहनत से ये जता दो तुम।

जीवन में पाओगे सब कुछ,
तुमने जो भी सोचा होगा।

बढ़े चलो आगे -आगे प्यारे बच्चों,
आने वाला कल तुम्हारा ही होगा।