भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चकरी / लैंग्स्टन ह्यूज़ / कात्यायनी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:02, 14 मई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=कात्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कहॉं है कलूटों के लिए
अलग हिस्सा
इस चकरी पर,
महाशय, क्योंकि मैं इसपर चढ़ना चाहता हूँ ?
सुदूर दक्खिन में
जहॉं का मैं हूँ
गोरे और काले लोग
अगल-बगल नहीं बैठ सकते ।
सुदूर दक्खिन में
रेलगाड़ी पर
कलूटे का अलग डब्बा होता है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कात्यायनी