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अगर प्रेमचंद मेरा बॉयफ़्रेंड होता / ज्योति शर्मा

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अगर प्रेमचंद मेरा बॉयफ़्रेंड होता
मैं खेलती उसकी झबरी मूँछों से
पूस की रात जब गंगा से उठकर
खिड़की से आती बर्फीली हवाएँ
मैं उसके साथ रज़ाई में जागती
जैसे शिव से कहती हैं पार्वती
मैं कहती
सुनाओ कहानी मेरे प्रेम
अगर प्रेमचंद मेरा बॉयफ़्रेंड होता
तो परवाह न करती कि उसका व्यवहार
पात्रों से कैसा है
यह देखती वह मुझे कैसे समझता है
उसे मैं करती इतना प्यार
हिरणी जैसे अपने छौने से करती है
फिर वह कैसे लिख पाता इतना कुछ !
अगर प्रेमचंद मेरा बॉयफ़्रेंड होता
उसके लिए बुन देती ऊनी मोजे
फटे जूतों से उसके पैर का अंगूठा न निकलता
बाहर
मेरे प्रेम को न लगती ठंड