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मैं नाचूँ तुम गाओ / विष्णुकांत पांडेय

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उल्लू गया कबूतर के घर
बोला — भाई, आओ,
रात बहुत प्यारी लगती है
मैं नाचूँ, तुम गाओ ।

कहा कबूतर ने — भाई, तुम
सुबह - सुबह आ जाना,
तुम नाचो तो कौआ देखे
मैं भी गाऊँ गाना ।