भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किताब / नीना सिन्हा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:37, 24 जुलाई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीना सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किश्तियों के पार भी
कोई इक संसार रचा बसा है
जहाँ तुम श्वाँस लेती हो
वहाँ अमलतास का भी इक मौसम है

रजनीगंधा
अपने रूप, अपरूप के लिए नहीं मशहूर
वह ख़ुशबूओं और मोह का निशाँ है

ऐतबार करने वालों के लिए
चाँद आइना है
नहीं तो
महज़ बुझा हुआ अँगारा है

अपनी सूरत में सीरत लिए
वह सिर्फ़
इक चेहरा और जिल्द नहीं
इक किताब है!