भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिजीविषा / राजेश अरोड़ा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:48, 27 जुलाई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश अरोड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फुटपाथ वाली चाय की दुकान की
कटिंग वाली चाय
चार दोस्त और दुनिया का ग़म
उसमें तुम का भी शामिल रहना
सुबह तक न ख़त्म होने वाली चर्चा
नाली के किनारे
उगे कैकटस के फूल में
जीवन की जिजीविषा ढूंढ़ना
वो भी दिन थे।