भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दादी ने कहा / महेश उपाध्याय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:14, 2 सितम्बर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश उपाध्याय |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दादी ने कहा
बड़ी भौजाई ने सुना
पहला फल अँचल का पाहुना ।
आँगन का हो या हो घेर, बेल, डाल का
पहला फल देवता सरीखा है ताल का
लाएगा लाड़-प्यार चौगुना ।
पहले फल की जिसने मन से अगवानी की
बरसा दी सौ असीस धूप - हवा - पानी की
उस घर का आँगन है कुनकुना ।