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मेरो दु:खी मन / बैरागी काइँला

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मेरो दु:खी मन सपना नखोज,
कि बिउँझेर बाँच्नु मुश्किल छ; मुश्किल ।
मेरो दु:खी मन सधैं हार रोज,
कि जितेर हार्नु मुश्किल छ, मुश्किल ॥

एउटा फूल डाक्छ सपनीभित्र,
बिपनीमा भेट्छु पत्थर रहेछ ।
तिम्रो स्वप्न-सभा आएछु हिजो,
आज माफी दिनु झुक्किएँ हिजो ॥

खोज्छ शून्य मलाई रातमा सधैँ,
आफैँलाई हराई खोज्दछु आफैँ ।
तिम्रो तारा जून रोजेँछु हिजो,
आज माफी दिनु झुक्किएँ हिजो ||