भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सहानुभूति / अष्टभुजा शुक्ल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:48, 16 सितम्बर 2024 का अवतरण (' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अष्टभुजा शुक्ल |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जब
दो लोगों के सुख
एकसमान होंगे
तो दोनों ही
खोल खोलकर दिखाएंगे
एक दूसरे को
अपना अपना सुख
लेकिन जब
दो लोगों की परेशानियाँ
एकसमान होंगी
तो उनमें से
किसी एक को
छिपानी ही पड़ेगी
अपनी तकलीफ़
अगले को
थामने के लिए